मंगलवार, 1 जनवरी 2013

''बिखरे मोती ''

कभी उसने कहा था इस लिए लिखता रहा हूँ मैं,
घनी रातों मे अक्सर देर तक जगता रहा हूँ मैं,
नही मालूम है मुझको मगर दुनिया ये कहती है,
कि अक्सर नींद मे भी नाम वो जपता रहा हूँ मै.

तेरी यादों कि दुनिया मे मै अक्सर ही विचरता हूँ,
कि कब रोये थे संग मिलकर अभी तक मै सिसकता हूँ
किसी मजधार के जैसी तेरी दुनिया तिलस्मी है
न जाने हश्र क्या होगा न जीता हूँ न मरता हूँ,

नही थी बेवफा तुम भी न मैंने की थी रुसवाई,
चलो कुछ देर से ही पर हमारी याद तो आई,
मिले हैं लाख गम चाहे मगर इतना सुकूं तो है,
कभी की थी मुहब्बत जो भला वो रंग तो लाई.

मेरे जीवन कि शहनाई हसीं यादें तुम्हारी हैं,
मगर तेरे लिए हमदम तो खुशियाँ ढेर सारी हैं,
बिताओ तुम खुशी जीवन दुआ ये दे रहा हूँ मैं,
रहे आबाद वो गुलशन जहाँ दुनिया तुम्हारी है

अनुराग सिंह ''ऋषी ''
01/01/2013

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