लगे हैं बजने डंके फिर से धर्म के ठेकेदारों के
शुरू हुए हैं हमले फिर से देश के कुछ सुकुमारों पे
अपना क्या है इन सब से हमको क्या लेना देना है ?
अपनी धुन में मस्त हुए हम क्या मतलब गद्दारों से
लगे हैं बजने डंके फिर से धर्म के ठेकेदारों के.
शरण मिली है जिनको हमसे उनने ही बर्बाद किया
काश्मीर सिक्किम को जिसने सुलगा के ही खाक किया
राष्ट्र धर्म क्या कहता है उनकी मनमानी चलने दें ?
या फिर मिल कर करें सामना इन भेदी गद्दारों से
लगे हैं बजने डंके फिर से धर्म के ठेकेदारों के.
न कोई धर्म है हिंदू मुस्लिम न ही सिक्ख न ईसाई
धर्म के ठेकेदारों ने ''ऋषि'' महज तबाही फैलाई
क्यों हम अपना फ़र्ज़ हैं भूले बातें बस दकियानूसी
आओ मिल कर करें सामना आतताई हत्यारों से
लगे हैं बजने डंके फिर से धर्म के ठेकेदारों के.
ऋषि
21/08/2012

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