तुम्हे सुनाऊं गर अपनी पीड़ा,
जो तुम सुनोगे तो रो पड़ोगे.
सही अभी तक जो ये उदासी,
जो तुम सहोगे तो रो पड़ोगे.
कभी तेरी वो झुकी निगाहें,
कभी हया से वो सुर्ख चेहरा.
दिलाऊं तुमको जो याद अपनी,
जो तुम करोगे तो रो पड़ोगे.
कभी उदासी कभी अँधेरा,
कभी ग़मों ने जो मुझको घेरा.
सुनाऊं तुमको जो हाल अपना,
जो तुम सुनोगे तो रो पड़ोगे.
वो तेरा जगना वो तेरा सोना,
वो तेरा हंसना वो तेरा रोना.
हैं खाली अब तक जो रंग मेरे,
जो तुम भरोगे तो रो पड़ोगे.
हमारी किस्मत,हमारा किस्सा,
नहीं बचा है वो कोई हिस्सा.
खुली किताब है ''ऋषि" जिंदगानी,
जो तुम पढ़ोगे तो रो पड़ोगे.ऋषि
७ /०८/२०१२
hmmmm nyc..
जवाब देंहटाएंHum Teri Yaad se Khud ko Bacha na ske,
हटाएंAur Teri Mohbbat ko Chupa na ske,
Ye b Malum tha k Pa na Skenge Tumhe,
Mgr fir bhi Ummeed k Diye ko Bujha na ske..........
Kitni Hasrat thi k kh du,Tum bin Jee nhi skte,
Mgr Samne Tere Hm Nazre utha na ske,
Tum bhi to jan kr hi Anjan se ban gye,
Aur Hum bhi Tumhe Haal-e-Dil bta na ske.......
Lakh Koshish ki Dil ne k Bhool jaon Tujhe,
Mgr 1 Pal bhi Tumhe Hum Bhula Na Ske.
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ है शिल्पी जी
हटाएंकभी कभी ऐसा ही होता है