गुरुवार, 24 मार्च 2016

"दुवा करता"






दूर करता न तो मै क्या करता ?
तुझको रुस्वाइयां अता करता ?


दूर जाने में थी तेरी खुशियाँ
काश तू खुद से फैसला करता 


मुझमे भी एक रूह है साहब
कब तलक खुद को अनसुना करता 


अब तलक मैं सफ़र में ही होता
दूसरों का जो आसरा करता 


छोड़ दे ज़िंदगी मेरा पीछा
मेरी खातिर कोई दुवा करता 

अनुराग सिंह “ऋषी”


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