गुरुवार, 7 जनवरी 2016

"खुश होना तुम"



भारती के वीर सपूतों
हमें क्षमा करना तुम,
हमें क्षमा करना ...
की नही कर पाए हम तुम्हारे प्राणों की रक्षा
जैसे करते हो तुम हमारे प्राणों की,
हमें क्षमा करना की हम भूल गये तुम्हे देना तुम्हारी स्वेक्षा
ताकि प्रयोग कर सको तुम अपने हथियार समय रहते,
हमें क्षमा करना की हम करेंगे फिर से लल्लो चप्पो तुम्हारी समिधाओं पर
ताकि बचा रहे हमारा मतास्तित्व,
तुम खुश होना की हम बांटेंगे अपना यशगान तुम्हारे नाम से
दूरदर्शन पर,हर समाचार पत्रों में,
तुम खुश होना की माँ को मिल जायेगा किराया उसकी कोख का
नौ माह तक की गणना करके,
तुम खुश होना की पिता को शायद मिल जाए कोई पदक तुम्हारे बदले
जिसकी लम्बाई हो लाठी के बराबर,
तुम खुश होना की लो हो गया सारा हिसाब ...
तुम्हारे प्राणों का ... तुम्हारे बलिदान का
माँ की कोख का .... पिता की लाठी का...
और तुम्हारा भी ...
तुम खुश होना
बहुत खुश होना ................

अनुराग सिंह "ऋषी"
08/01/2015
(चित्र - गूगल से साभार)

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