शुक्रवार, 5 जून 2015

माँ




जिसके सर पे खुदा की रहमत है
पास उसके ही माँ की दौलत है

माँ तो मौला की बख्शी नेमत है
माँ खुदा का करम भरा खत है 

और अब मांग के भी क्या करना
माँ के कदमों में मेरी ज़न्नत है

हाँथ सर पर यूँ ही रहे मौला
माँ के दम पे ही मेरी बरकत है

माँ की आँखों में जो भी दे आंसू
ज़िन्दगी उसकी क्या है, लानत है

माँ जो देवी, दुवा, दवा सब है
माँ ही घर की, हमारे अस्मत है

माँ नही है तो घर है घर कैसा
माँ ही घर की सदा रही छत है

अनुराग सिंह "ऋषी"
6/06/2015
(चित्र - गूगल से साभार)

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