जिसके सर पे खुदा की रहमत है
पास उसके ही माँ की दौलत है
माँ तो मौला की बख्शी नेमत है
माँ खुदा का करम भरा खत है
और अब मांग के भी क्या करना
माँ के कदमों में मेरी ज़न्नत है
हाँथ सर पर यूँ ही रहे मौला
माँ के दम पे ही मेरी बरकत है
माँ की आँखों में जो भी दे आंसू
ज़िन्दगी उसकी क्या है, लानत है
माँ जो देवी, दुवा, दवा सब है
माँ ही घर की, हमारे अस्मत है
माँ नही है तो घर है घर कैसा
माँ ही घर की सदा रही छत है
अनुराग सिंह "ऋषी"
6/06/2015
(चित्र - गूगल से साभार)
Wah mitra bhut he sundar sabdo ko piroya hai. .
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