भरी दुनिया से दामन को छुडाना है नही आसां
भले ही लाख शिकवें हों भुलाना है नही आसां
मुहब्बत दर्द देती है इसे ना खेल तुम जानो
किसी को चाह कर देखो कि पाना है नही आसां
ज़माने को ये लगता है उसे वो भूल सकता है
कि टूटे दिल को इस खातिर मनाना है नही आसां
जो पूछे हाल वो मेरा बताऊं हाल क्या बोलो
लगी जो चोट हो दिल पे दिखाना है नहीं आसां
कई रातों में धोई आँख मैंने उनकी यादों से
ये अश्कों से सनी गज़लें सुनाना है नही आसां
अनुराग सिंह "ऋषी"
25/04/2014
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