"दोहों में दीपावली"
छोटे दीपक कर रहे, जग भर में उजियार
मन के फाटक खोल दो, माँ लक्ष्मी हैं द्वार
भूखे को भोजन मिले, "ऋषि" अनाथ को प्यार
मात कृपा से हो रहा, जन जन का उद्धार
सबको हो शिक्षा सुलभ, हो सबका घर बार
हर मानव को मिल सके, उसका हर अधिकार
ना कौमी दंगे उठें, ना भाषा की मार
शांत सुखी सब रह सकें, हो ऐसी सरकार
मात तुम्हारे पग पड़ा, जग का सारे भार
"ऋषि" नन्हा सा ख्वाब है, कर दो माँ साकार
अनुराग सिंह "ऋषी"
03/11/2013
आभार आपका सर
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