मंगलवार, 29 अक्तूबर 2013

"हमसे पूछिए"






तन्हाई में रोने का मज़ा हमसे पूछिए
अरमान यूँ धोने का मज़ा हमसे पूछिए

दिल मेरा जो ये टूट के बिखरा यहाँ वहाँ
टुकड़ों को संजोने का मज़ा हमसे पूछिए

वर्षों से लिए प्यास जो सूनी से आँख हैं
अश्कों से भिगोने का मज़ा हमसे पूछिए

हर एक गम जो जिंदगी देती रही हमें
गज़लों में पिरोने का मज़ा हमसे पूछिए

मुझमे वो कौन था जिसे है ढूँढता “ऋषी”
खुद में हि ना होने का मज़ा हमसे पूछिए

अनुराग सिंह "ऋषी"

30/10/2013

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