तन्हाई में रोने
का मज़ा हमसे पूछिए
अरमान यूँ धोने का मज़ा हमसे पूछिए
दिल मेरा जो ये टूट के बिखरा यहाँ वहाँ
टुकड़ों को संजोने का मज़ा हमसे पूछिए
वर्षों से लिए प्यास जो सूनी से आँख हैं
अश्कों से भिगोने का मज़ा हमसे पूछिए
हर एक गम जो जिंदगी देती रही हमें
गज़लों में पिरोने का मज़ा हमसे पूछिए
मुझमे वो कौन था जिसे है ढूँढता “ऋषी”
खुद में हि ना होने का मज़ा हमसे पूछिए
अनुराग सिंह "ऋषी"
30/10/2013
अरमान यूँ धोने का मज़ा हमसे पूछिए
दिल मेरा जो ये टूट के बिखरा यहाँ वहाँ
टुकड़ों को संजोने का मज़ा हमसे पूछिए
वर्षों से लिए प्यास जो सूनी से आँख हैं
अश्कों से भिगोने का मज़ा हमसे पूछिए
हर एक गम जो जिंदगी देती रही हमें
गज़लों में पिरोने का मज़ा हमसे पूछिए
मुझमे वो कौन था जिसे है ढूँढता “ऋषी”
खुद में हि ना होने का मज़ा हमसे पूछिए
अनुराग सिंह "ऋषी"
30/10/2013
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