मै नही कहता कि बस भगवान होना चाहिए
आदमी के दिल में तो इंसान होना चाहिए
पास ही संसद बसी है प्रेत नेतों की यहाँ
साथ में हर दम यहाँ लोबान होना चाहिए
हाँ भले बंगले न हो इस आज की अवाम के
पर सभी के पास एक माकान होना चाहिए
कमतरी कपड़ों कि है न प्यार की विश्वास की
नारियों का आज भी सम्मान होना चाहिए
मानता हूँ अतिथि के पूजन कि बातें हैं सही
पर न अंग्रेजों सा वो मेहमान होना चाहिए
हैं नही बेकार बातें पाठ्य पुस्तक में मगर
मुल्क के हालात का भी भान होना चाहिए
हे प्रभु इस देश में हो आरती पूजा सदा
और बगल में साथ ही अजान होना चाहिए
हो नहीं सकते कहीं दंगे कहीं भी ये फसाद
आदमी को एकता का ज्ञान होना चाहिए
मै नही कहता “ऋषी” केवल मुहब्बत ही लिखो
आदमी को बांध दे वो गान होना चाहिए
अनुराग सिंह “ऋषी”
04/-5/2013
चित्र ---- गूगल से साभार
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