गुरुवार, 16 मार्च 2023

"हम गुजर जायेंगे"


 हादसों की तरह हम गुजर जायेंगे

इक समय आएगा हम भी मर जायेंगे


इक जमाना हुआ हम चले जा रहे

चलते चलते ही इक दिन ठहर जायेंगे


तुम न रोना सुनो मेरी खातिर कभी 

आंख तुम मूंदना हम नजर आएंगे 


आसरा तुम किसी का न देखो कभी

इंतजामात ऐसे भी कर जायेंगे


बारहा इस कदर अब न देखो हमे

जाते जाते भी हम प्यार कर जायेंगे


कुछ खिलौने किताबे कलम ले ही लूं

सोचते हैं कि इक रोज घर जायेंगे


कोई दौलत नही ये करम हैं मेरे

ये उधर आयेंगे हम जिधर जायेंगे


आदतन आदमी सोचता है यही

आज पी लें ओ कल से सुधर जाएंगे


जिंदगी की हकीकत हमे है पता

क्या बताएं कि बस आप डर जायेंगे


ये है दुनिया "ऋषि" इक बपौती नहीं

ये ही सच है कि इक रोज मर जायेंगे


अनुराग सिंह "ऋषी"

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