हर तरफ धर्मान्धता, दौड़ते कूपमण्डूक लोग
और कुचले हुए इंसान
मैं देख सकता हूँ
इक और बनता हुआ पाकिस्तान.......
जहां मासूम चीखें दब जाती हैं काल्पनिक घंटों घड़ियालों के शोर में
जहाँ देखी जाने लगी है हर नकारात्मक घटना हरे चश्मे से
आज इस दौर में.......
हर गली नुक्कड़ चौराहे पर लगवा दिए गए हैं कुछ ज़िंदा यंत्र
जहां से छापे जाते हैं देशभक्ति के प्रमाणपत्र
साथ ही फूंके भी जाते हैं चुनावी जीत के मंत्र
हाँ दुखद है, गलत है, आपत्तिजनक है पर मजबूर है हर इंसान
बरबस ही चुपचाप बस देखता हूँ
एक और बनता हुआ पाकिस्तान ........
चित्र- गूगल से साभार
अनुराग सिंह "ऋषी"
19/10/2021
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