ज़िन्दगी क्यों ठहर गया हूं मैं
मुझको लगता है मर गया हूँ मैं
कोई हसरत नही रही बाकी
सच कहो क्या गुज़र गया हूँ मैं
ज़र्द चेहरे को देख कर मेरे
लोग समझे निखर गया हूँ मैं
सेहरा-ए-दर्द था मज़ाक नही
कैसे भी पार कर गया हूं मैं
मैं भी खुदरंग वक़्त था साहब
हाँ मगर अब गुज़र गया हूँ मैं
हां तेरी रुखसती के बाद सही
जैसे तैसे सुधर गया हूं मैं
अनुराग सिंह "ऋषि"
रखे है हौसला दरिया कब अहल-ए-हिम्मत का
जवाब देंहटाएंनहीं ये इतना कि भर कासा-ए-हबाब तो दे
~शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
#WordOfTheDay
हबाब حباب
1.बुल्ला, बुदबुद।
2.शीशे का पतला गोला।