सोमवार, 13 नवंबर 2017

विदा




आखिरी वक़्त आ गया साथी
हमको होना है अब जुदा साथी

अब से अपना ख्याल रख लेना
और बोलूं भी मैं तो क्या साथी

मैं तुम्हारी ख़ुशी तराशुंगा
तुम भी करना कहीं दुवा साथी

अब नई जिंदगी सहेजो तुम
साथ इतना ही था लिखा साथी

कुछ भी तो तुमको दे नही पाया
तुमने सब कुछ मुझे दिया साथी

मैं भी खुद को कहीं खपाउंगा
तुम भी देना मुझे भुला साथी

रुखसती मौत सी मुअय्यन है
आज लेता हूँ मैं विदा साथी

अनुराग सिंह "ऋषी"
12/11/2017
चित्र- गूगल से साभार

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