रविवार, 6 जनवरी 2013

''कोई नही मिला''



हर ओर दिल लगाया हर ओर दिल जला,
गम के सिवाय दुनिया मे कुछ नही मिला

दुनिया थी संग मेरे हँसने के वास्ते,
रोने का वक्त आया न कोई भी मिला

लाखों मिले जहाँ मे जो जान लुटा दें,
दिल के जख्म को सीने कोई नही मिला.

ख्वाब था सुकून से जीवन बिताएँगे,
ऐसा हुआ धमाका अंदर तलक हिला.

सोंचा कि तेरी यादें ही दिल से निकाल दूँ,
जितना तुझे भुलाया उतना ही मै जला.

किसकी करूँ इबादत किसका करूँ भरोसा,
खोजा जो मंदिरों मे भगवान न  मिला.

अनुराग सिंह  ''ऋषी''
6/01/2013

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें