सबसे पहले बनाया गया होगा प्रेम
ताकि बाँधे जा सकें दो मन बन्धन में
बिना किसी बन्धन के ...
तब बनाये गये होंगे भौतिक उपांग
देने को इक धरातल
की रोपा जा सके पौधा प्रेम का...
तब बनाया होगा बिछोह
ताकि दर्ज हो सके प्रेम
अपनी तीव्रता के साथ...
फिर जरुरत पड़ी होगी दर्द की
ताकि मिल सके अस्तित्व
प्रेम को प्रेम का ...
क्या ऐसी ही होगी उत्पत्ति प्रेम की
कल्पना करता है
प्रेम का आदिकवि......... अनुराग सिंह "ऋषी"
05/09/2016
(चित्र गूगल से साभार)
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