शुक्रवार, 10 मई 2013

"यादें"




हमें तन्हाई में यादें तुम्हारी आती हैं
रोज आती हैं हमे रोज ही जलाती हैं

अपनी यादों से कहो यूँ न सताएं हमको
जब भी आती हैं हमें बेवजह रुलाती है

लाखों कोशिस से है यूँ हमने मनाया दिल को
याद फिर से पुराने गीत गुनगुनाती हैं

हालाकी याद की अपनी कई जरूरत हैं
जिंदगी जीने का ये रास्ता दिखाती हैं

कभी संसार कि सोने कि था चिड़िया देखो
कितनो कि रातें यहाँ भूखे बीत जाती हैं


अनुराग सिंह "ऋषी"
07/05/2013

चित्र---- गूगल से साभार

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें