"चीख "
शांत है विद्रोह पर सेना खड़ी तैयार है
हमको अपनी बात भी न रखने का अधिकार है
गर करो आवाज ऊंची लाठियां खाओगे तुम
बंधनों में बांधती भारत को ये सरकार है
बात अपनी रख रहे लोगों को डाले कैद में
हाँ भले मुजरिम जो जाए तो इन्हें स्वीकार है
वक्त है अब भी जो चेतो देख लो अच्छी तरह
झूठ की, धोखे की, बलवे की यहाँ भरमार है
जनता कि है, जनता से है, है ये जनता के लिए
हो रहा पर आम जनता पे ही अत्याचार है
देश जागे, लोग जागें, और जागें हम युवा
गर नही जागे ''ऋषी'' जीवन यहाँ दुश्वार है
अनुराग सिंह ''ऋषी''
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