रविवार, 20 जनवरी 2013

''प्रयागराज''



















तज आये वो जिंदगी, तज आये वो ठाट
रेती पर दुनिया बसी, देखो संगम घाट

भागीरथ के देन है, अब प्रयाग कि शान
सब अवगुण हर लेत है, करते जो स्नान

साल तलक पालीथीन, का प्रयोग है माफ
माघ परे सुधि होत है, सुरसरि कर लो साफ़

सुरसरि का है हो गया, देखो कैसा हाल
ये इसका परिणाम है, घर मुरगी जस दाल

इस दुनिया में श्रेष्ठ है, तीरथ यही प्रयाग
उन लोगों को प्राप्त है, जो होते बड़भाग

तीर्थराज की प्राप्ति पर, ''ऋषि'' देखो इतराय
गत जनमन के करम हैं, भाग न ऐसा पाय


अनुराग सिंह ''ऋषि ''
©
21/01/2013

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