कभी-कभी तन्हाई की आवाज सुनाई देती है
कभी-कभी इक सोई सी, हसरत अंगड़ाई लेती है
दुनिया के इन तौर तरीकों के डर से सहमी-सहमी
एक भोली पर सच्ची सी, सूरत दिखलाई देती है
दिल वालों की दिल्ली में अब पत्थर दिल हैं लोग यहाँ
बेमतलब के मुद्दों की, घंटों सुनवाई होती है
इस बदली दुनिया के है बदले-बदले क़ानून अभी
जो जितना है वफादार, उतनी रुसवाई होती है
गाँवों में अब खेत नही ‘‘ऋषि’’ कंक्रीट के जंगल हैं
अब बंशी की गूँज नही, तनहा पुरवाई होती है
अनुराग सिंह ‘‘ऋषी’’
27/01/2013
कभी-कभी इक सोई सी, हसरत अंगड़ाई लेती है
दुनिया के इन तौर तरीकों के डर से सहमी-सहमी
एक भोली पर सच्ची सी, सूरत दिखलाई देती है
दिल वालों की दिल्ली में अब पत्थर दिल हैं लोग यहाँ
बेमतलब के मुद्दों की, घंटों सुनवाई होती है
इस बदली दुनिया के है बदले-बदले क़ानून अभी
जो जितना है वफादार, उतनी रुसवाई होती है
गाँवों में अब खेत नही ‘‘ऋषि’’ कंक्रीट के जंगल हैं
अब बंशी की गूँज नही, तनहा पुरवाई होती है
अनुराग सिंह ‘‘ऋषी’’
27/01/2013
वाह सुन्दर
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