अब तो अपने से डर गया हूं मैं
अपने अंदर उतर गया हूं मैं
अब तो बस जिंदगी उलटता हूं
इतना अंदर से भर गया हूं मैं
मुझको खुद की तलाश है साहब
कौन जाने किधर गया हूं मैं
बारहा डर है लग रहा ऐसा
मैं हूं जिंदा कि मर गया हूं मैं
पैसा लेना न काम कर देना
अपने ही बाप पर गया हूं मैं
अनुराग सिंह "ऋषी"
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