मंगलवार, 15 जनवरी 2013

''मुस्कराहट''




जाने क्यों बेवजह, मुस्कुराते हैं हम
दर्द दिल का भला, क्यों भुलाते हैं हम


कोशिशें हो गईं, लाख बेकार अब
ख्वाब मे ही महज़, पास आते हैं हम


प्यार कि डाल पर, अधखिले फूल को
जाने क्यों हर सुबह, तोड़ लाते हैं हम


अपने ही अक्स से, लग रहा डर हमें
आईने से सदा, मुँह छिपाते हैं हम


मेरे दिल पे लिखी, तेरी हर एक अदा
अनमने ही सही, पर मिटाते हैं हम


बोझ दिल का मेरा, इक सदा कह रहा
वो सदा ही ‘‘ऋषी’’, गुनगुनाते हैं हम



अनुराग सिंह ‘‘ऋषी’’
15/06/2013        

1 टिप्पणी:

  1. Aaj To Hm Maut Ki Dua Kr K Roye H
    Dobara Aaj Khuda Se Gila Kr Ke Roye H
    Kyon Na Likh Ska Tu Us Ko Taqdeer Me Meri
    Ye ik Khayal Soch Kr Fir Hm Roye H.....

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